लिंग (spelling mistake ) On Jul 8, 2016 11:13 AM, "Shreenivas Naik" < shreenivasnaik.hindi.vo...@gmail.com> wrote:
> लि'ग एवं वचन > लिँग > जो संज्ञा शब्द पुरुष या स्त्री जाति का ज्ञान कराते हैँ, उन शब्द रूपोँ को > लिँग कहते हैँ। हिन्दी मेँ कुछ शब्दोँ को छोड़कर शेष सभी शब्द या तो पुरुषवाचक > हैँ या स्त्री वाचक। इसलिए हिन्दी भाषा मेँ लिँग के दो प्रकार माने गये हैँ – > 1. पुल्लिँग : पुरुष या नर जाति का बोध कराने वाले शब्द पुल्लिँग कहलाते हैँ। > जैसे – लड़का, रमेश, मोर, देश, बकरा, बन्दर, भवन, साला, भाई आदि। > 2. स्त्रीलिँग : स्त्री या नारी (मादा) जाति का बोध कराने वाले शब्दोँ को > स्त्रीलिँग कहते हैँ। जैसे – लड़की, सीमा, बालिका, शेरनी, राधा, दासी, देवरानी, > चिड़िया, भाभी, छात्रा आदि। > > हिन्दी भाषा मेँ कई ऐसे भी शब्द हैँ जो पुल्लिँग एवं स्त्रीलिँग दोनोँ रूपोँ > मेँ अपरिवर्तित रहते हैँ। इन शब्दोँ का लिँग परिवर्तन नहीँ होता। जैसे – > चांसलर, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राजदूत, राज्यपाल, इंजीनियर, डॉक्टर, > मैनेजर, डाकिया आदि। ऐसे शब्दोँ को उभयलिँगी कहते हैँ। उदाहरणार्थ – > • हमारे देश के प्रधानमंत्री कल जापान यात्रा पर जा रहे हैँ। > • जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल ने सुरक्षा परिषद् मेँ भारत की स्थाई > सदस्यता का समर्थन किया है। > • डॉक्टर हॉस्पिटल जा रहे हैँ। > • डॉक्टर मेरी माताजी को देखने घर पर आ रही है। > > • लिँग निर्धारण सम्बन्धी नियम : > ◊ पुल्लिँग शब्द – > • दिनोँ (वार) के नाम पुल्लिँग होते हैँ – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, > शुक्रवार, शनिवार तथा रविवार। > • महीनोँ के नाम – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, > कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ व फाल्गुन। किन्तु अँग्रेजी मास मेँ जनवरी, > फरवरी, मई, जुलाई अपवाद हैँ यानि ये स्त्रीलिँग हैँ। > • रत्नोँ के नाम – हीरा, पन्ना, मोती, नीलम, मूँगा, पुखराज। किँतु सीपी, > रत्ती व मणि अपवाद स्वरूप स्त्रीलिँग हैँ। > • द्रव पदार्थ – रक्त, घी, पैट्रोल, डीजल, तेल, पानी। > • धातुओँ के नाम – सोना, पीतल, लोहा, ताँबा। किँतु अपवाद स्वरूप चाँदी > स्त्रीलिँग है। > • प्राणिजगत् मेँ – कौआ, मेँढ़क, खरगोश, भेड़िया, उल्लू, तोता, खटमल, पक्षी, > पशु, जीवन, प्राणी। > • वृक्षोँ के नाम – नीम, पीपल, जामुन, बड़, गुलमोहर, अशोक, आम, कदम्ब, देवदार, > चीड़, रोहिड़ा आदि। > • पर्वतोँ के नाम – कैलाश, अरावली, हिमालय, विँध्याचल, सतपुड़ा आदि। > • अनाजोँ के नाम – गेहूँ, बाजरा, चावल, मूँग आदि शब्द पुल्लिँग हैँ किँतु > अपवाद स्वरूप मक्का, ज्वार, अरहर, रागी आदि स्त्रीलिँग हैँ। > • ग्रहोँ के नाम – रवि, चंद्र, सूर्य, ध्रुव, मंगल, शनि, बृहस्पति। किँतु > 'पृथ्वी' शब्द अपवाद स्वरूप स्त्रीलिँग है। > • शरीर के अंग – पैर, पेट, गला, मस्तक, अँगूठा, मस्तिष्क, हृदय, सिर, हाथ, > दाँत, होँठ, कंधा, वक्ष, बाल, कान, मुख, दिल, दिमाग आदि। > • वर्णमाला के अक्षर – स्वरोँ मेँ इ, ई, ऋ, ए तथा ऐ को छोड़कर सभी वर्ण > पुल्लिँग हैँ। > • समुद्रोँ के नाम – प्रशांत महासागर, अंध महासागर, अरब सागर, हिन्द महासागर, > लाल सागर, भूमध्य सागर आदि। > • विशिष्ट स्थान – वाचनालय, शिवालय, भोजनालय, चिकित्सालय, मंदिर, भंडारघर, > स्नानघर, रसोईघर, शयनगृह, सभाभवन, न्यायालय, परीक्षा-केन्द्र, मंत्रालय, > विद्यालय, सचिवालय, कार्यालय, पुस्तकालय, प्रसारण-केन्द्र आदि। > • व्यवसाय सूचक शब्द – उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, कर्मचारी, अधिकारी, > व्यापारी, सचिव, आयुक्त, राज्यपाल, उद्योगपति, दुकानदार, क्रेता, विक्रेता, > देनदार, लेनदार, सेठ, श्रेष्ठी, सैनिक, सुनार, सेनापति, संवाददाता, लोकपाल, > लेखपाल, अधिवक्ता, विभागाध्यक्ष, चपरासी, न्यायाधीश, वकील आदि। > • समुदायवाचक शब्द – समाज, दल, संघ, गुच्छा, मंडल, सम्मेलन, परिवार, कुटुम्ब, > वंश, कुल, झुण्ड आदि। > • भाववाचक संज्ञाएँ – आ, आव, आवा, पन, हा, वट, ना प्रत्ययोँ से युक्त भाववाचक > संज्ञा–शब्द। जैसे– बाबा, बहाव, दिखावा, पहनावा, मोटापा, बुढ़ापा, बचपन, > सीधापन, कवित्व, स्वामित्व, महत्त्व, दिखावट आदि। > • संस्कृत–शब्द (तत्सम शब्द) पुल्लिँग हैँ। जैसे – दास, अनुचर, मानव, दानव, > देव, मनुष्य, राजा, ऋषि, मधु, पुष्प, पत्र, फल, गृह, दीपक, मन, डर, मित्र, > कुल, वंश आदि। > • जिन शब्दोँ के अन्त मेँ 'त्र' जुड़ा हो।जैसे– नेत्र, पात्र, चरित्र, अस्त्र, > शस्त्र, वस्त्र आदि। > • जिन शब्दोँ के अन्त मेँ 'ख' अथवा 'ज' होता है। जैसे– मुख, दुःख, लेख, पंकज, > मनुज, अनुज, जलज आदि। > • आकार–प्रकार, देखने मेँ भारी–भरकम, विशाल और बेडौल वस्तुएँ पुल्लिँग होती > हैँ। जैसे– ट्रक, इंजन, बोरा, खम्भा, स्तम्भ, गड्ढा आदि। > • अकारांत और आकारांत शब्द पुल्लिँग होते हैँ। जैसे– जंगल, कपड़ा, धन, वस्त्र, > छिलका, भोजन, बर्तन, घड़ा, मटका, कलश, घट, पट आदि। > • एरा, दान, वाला, खाना, बाज, वान तथा शील प्रत्यय वाले शब्द पुल्लिँग होते > हैँ। जैसे– > सपेरा, लुटेरा, चचेरा, ममेरा, फुफेरा आदि। > फूलदान, खानदान, पानदान, कमलदान, रोशनदान आदि। > दूधवाला, पानवाला, घरवाला, मिठाईवाला आदि। > कारखाना, जेलखाना, पागलखाना, डाकखाना, दवाखाना आदि। > चालबाज, दगाबाज, धोखेबाज, नशेबाज, नखरेबाज आदि। > धनवान, गुणवान, बलवान, चरित्रवान, भाग्यवान, दयावान आदि। > सुशील, अध्ययनशील, प्रगतिशील, उन्नतिशील आदि। > • 'अर्थी' तथा 'दाता' प्रत्यय युक्त शब्द पुल्लिँग होते हैँ। जैसे– अभ्यर्थी, > स्वार्थी, परमार्थी, विद्यार्थी, शरणार्थी, पुरुषार्थी, मतदाता, श्रमदाता, > रक्तदाता आदि। > > ◊ स्त्रीलिँग – सामान्यतः निम्न शब्द स्त्रीलिँग होते हैँ – > • लिपियोँ के नाम – देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी, शारदा, खरोष्ठी, मुढ़िया आदि। > • नदियोँ के नाम – गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, सतलज, > ताप्ती, रावी, चंबल, गंडक, झेलम, चिनाव, ब्रह्मपुत्र, काटली, खारी, बांडी आदि। > • भाषाओँ के नाम – हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी, अँग्रेजी, तमिल, जर्मन, > मराठी, गुजराती, मलयालम, बांगला, राजस्थानी आदि। > • तिथियोँ के नाम – प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, एकादशी, > द्वादशी, त्रयोदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, प्रतिपदा आदि। > • बेलोँ के नाम – जूही, चमेली, मल्लिका, मधुमति आदि। > • प्राणियोँ मेँ – कोयल, चील, मैना, मछली, गिलहरी, छिपकली, मक्खी आदि > स्त्रीलिँग शब्द हैँ। इन शब्दोँ के पूर्व नर शब्द जोड़ देने से ये शब्द > पुल्लिँग बन जाते हैँ, जैसे – नर मछली, नर मैना आदि। > • वर्णमाला के अक्षर – इ, ई, ऋ आदि स्त्रीलिँग हैँ। > • संस्कृत की इकारान्त संज्ञाएँ – अवनति, उन्नति, मति, तिथि, गति, अग्नि, > हानि, रीति, समिति, शांति, नीति, शक्ति, संधि, जति आदि। > • संस्कृत की उकारान्त संज्ञाएँ – माला, माया, यात्रा, शोभा, क्रिया, लता, > विद्या, घृणा, दया, पिपासा, कृपा, हिँसा, प्रतिभा, प्रतिमा, प्रतिज्ञा, आज्ञा, > सरिता, क्रीड़ा, ध्वजा, लालसा, जरा, मृत्यु, आयु, ऋतु, वायु, धातु आदि। > • शरीर के अंग – आँख, नाक, ठोड़ी, नाभि, भौँ, पलक, छाती, कमर, एड़ी, चोटी, जीभ, > पसली, पिँडली, अँगुली आदि। > • हथियारोँ मेँ – तलवार, कटार, तोप, बंदूक, गोली, गदा, कृपाण आदि शब्द > स्त्रीलिँग हैँ किन्तु धनुष, बाण, बम पुल्लिँग हैँ। > • समुदायोँ मेँ – संसद, परिषद्, सभा, समिति, सेना, भीड़, टोली, रैली, सरकार > स्त्रीलिँग शब्द हैँ। > • नक्षत्रोँ के नाम – भरणी, कृतिका, रोहिणी आदि। किन्तु पुनर्वसु, पुष्य, > तारा आदि पुल्लिँग हैँ। > • भोजन–मसालोँ के नाम – पूरी, रोटी, सब्जी, जलेबी, मिर्ची, हल्दी आदि। > • जिन शब्दोँ के अन्त मेँ इ, नी, आनी, आई, इया, इमा, त, ता, आस, री, आवट, आहट > जुड़े होते हैँ वे प्रायः स्त्रीलिँग शब्द होते हैं। जैसे– > ई– गर्मी, सर्दी, झिड़की, खिड़की, गाली, आबादी। > नी– कथनी, करनी, भरनी, जवानी, जननी, चटनी, छलनी। > आई– मलाई, बुराई, चटाई, पढ़ाई, लड़ाई, सफाई, विदाई, कमाई आदि। > इया– बुढ़िया, चिड़िया, कुटिया, गुड़िया आदि। > इमा– कालिमा, नीलिमा, महिमा, गरिमा आदि। > त– रंगत, संगत, खपत, चाहत आदि। > ता– एकता, कटुता, पशुता, मनुष्यता, महानता, नीचता, श्रेष्ठता, लघुता, > ज्येष्ठता, मानवता, दानवता आदि। > आस– खटास, मिठास, भड़ास आदि। > री– बकरी, गठरी, कबूतरी, चकरी आदि। > आवट– बनावट, सजावट, लिखावट, थकावट, दिखावट आदि। > आहट– मुस्कराहट, चिकनाहट, घबराहट आदि। > > ◊ पुल्लिँग से स्त्रीलिँग बनाने के नियम: > • ‘अ’ तथा ‘आ’ को ‘ई’ करने से– > पुल्लिँग — स्त्रीलिँग > नर – नारी > बेटा – बेटी > बकरा – बकरी > लंबा – लंबी > गधा – गधी > नाला – नाली > गोप – गोपी > पुत्र – पुत्री > दास – दासी > ब्राह्मण – ब्राह्मणी > घोड़ा – घोड़ी > तरुण – तरुणी > नाना – नानी > पीला – पीली > मेँढक – मेँढकी > मुर्गा – मुर्गी > हरिण – हरिणी > लड़का – लड़की > • ‘अ’ तथा ‘आ’ को ‘इया’ करने से – > बंदर – बंदरिया > खाट – खटिया > लोटा – लुटिया > चूहा – चुहिया > बेटा – बिटिया > चिड़ा – चिड़िया > गुड्डा – गुड़िया > बच्छा – बछिया > डिब्बा – डिबिया > • संबंध, जाति तथा उपमानवाचक शब्दोँ मेँ ‘आनी’ जोड़ने से – > मुगल – मुगलानी > पंडित – पंडितानी > क्षत्रिय – क्षत्राणी > नौकर – नौकरानी > सेठ – सेठानी > रुद्र – रुद्राणी > इंद्र – इंद्राणी > जेठ – जेठाणी > देवर – देवरानी > चौधरानी – चौधरानी > मेहतर – मेहतरानी > • व्यवसायवाचक, जातिवाचक तथा उपमानवाचक शब्दोँ मेँ ‘इन’ या ‘आइन’ जोड़ने से – > पंडिताइन – पंडिताइन > ठाकुर – ठकुराइन > चौबे – चौबाइन > दर्जी – दर्जिन > हलवाई – हलवाइन > पाप – पापिन > चमार – चमारिन > कहार – कहारिन > जोगी – जोगिन > भंगी – भंगिन > साँप – साँपिन > लाला – ललाइन > बाबू – बबुआईन > जुलाहा – जुलाहिन > तेली – तेलिन > • प्राणिवाचक और जातिवाचक संज्ञाओँ मेँ ‘नी’ जोड़कर– > मोर – मोरनी > सिँह – सिँहनी > भाट – भाटनी > भील – भीलनी > रीछ – रीछनी > ऊँट – ऊँटनी > शेर – शेरनी > हाथी – हथिनी > राजपूत – राजपूतनी > सियार – सियारनी > जाट – जाटनी > लम्बरदार – लम्बरदारनी > • तत्सम अकारांत शब्दोँ के अन्त मेँ ‘आ’ जोड़कर– > कांत – कांता > चंचल – चंचला > तनय – तनया > आत्मज – आत्मजा > अनुज – अनुजा > प्रिय – प्रिया > पालित – पालिता > पूज्य – पूज्या > वृद्ध – वृद्धा > शिष्य – शिष्या > श्याम – श्यामा > कृष्ण – कृष्णा > सुत – सुता > शिव – शिवा > भवदीय – भवदीया > • तत्सम संज्ञा शब्दोँ मेँ ‘अक’ या ‘इका’ जोड़ने से– > अध्यापक – अध्यापिका > सेवक – सेविका > दर्शक – दर्शिका > संपादक – संपादिका > गायक – गायिका > नायक – नायिका > पाठक – पाठिका > सहायक – सहायिका > संयोजक – संयोजिका > लेखक – लेखिका > परिचायक – परिचायिका > संचालक – संचालिका > • तत्सम शब्दोँ मेँ ‘ता’ का ‘त्री’ करने से– > दाता – दात्री > अभिनेता – अभिनेत्री > विधाता – विधात्री > धाता – धात्री > नेता – नेत्री > निर्माता – निर्मत्री > वक्ता – वक्त्री > कर्त्ता – कर्त्री > • तत्सम शब्दोँ मेँ ‘मान’ और ‘वान’ का क्रमशः ‘मती’ और ‘वती’ करने से– > भगवान – भगवती > धनवान – धनवती > रूपवान – रूपवती > ज्ञानवान – ज्ञानवती > बुद्धिमान – बुद्धिमती > शक्तिमान – शक्तिमती > सत्यवान – सत्यमती > आयुष्मान – आयुष्मती > गुणवान – गुणवती > श्रीमान – श्रीमती > बलवान – बलवती > पुत्रवान – पुत्रवती > महान – महती > • ‘इनी’ प्रत्यय जोड़ने से (‘अ’ और ‘ई’ का ‘इनी’ या ‘इणी’ होना)– > मनोहारी – मनोहारिणी > एकाकी – एकाकिनी > यशस्वी – यशस्विनी > स्वामी – स्वामिनी > हाथी – हथिनी > हंस – हंसिनी > तपस्वी – तपस्विनी > अभिमान – अभिमानिनी > अधिकारी – अधिकारिणी > • पुल्लिँग तथा स्त्रीलिँग शब्दोँ मेँ क्रमशः मादा तथा नर जोड़ने से– > कोयल – मादा कोयल > मगरमच्छ – मादा मगरमच्छ > गैँडा – मादा गैँडा > नर चील – चील > भालू – मादा भालू > नर गिलहरी – गिलहरी > भेड़िया – मादा भेड़िया > खरगोश – मादा खरगोश > नर छिपकली – छिपकली > • हिँदी मेँ कुछ पुल्लिँग शब्द अपने स्त्रीलिँग से भिन्न होते हैँ– > पुरुष – स्त्री > राजा – रानी > बहन – भाई > साहब – मेम > बैल – गाय > वीर – वीरांगना > वर – वधू > पिता – माता > विद्वान – विदुषी > ससुर – सास > साली – साढ़ू > पुत्र – पुत्रवधू > सम्राट – सम्राज्ञी > विधुर – विधवा > कवि – कवयित्री > बिलाव – बिल्ली > • कुछ सर्वनाम शब्दोँ का लिँग परिवर्तन इस प्रकार होता है– > उसका – उसकी > तुम्हारा – तुम्हारी > मेरा – मेरी > तेरा – तेरी > इनका – इनकी > हमारा – हमारी > • बहुत जगह पर एक ही वस्तु के वाचक एक ही भाषा के दो शब्द दो लिँगोँ मेँ > प्रयुक्त होते हैँ– > वचन – वाणी > प्रेम – प्रीति > जगत् – जगती > गमन – गति > काठ – लकड़ी > दुःख – पीड़ा > चाम – खाल > आँख – चक्षु > वक्ष – छाती > पाषाण – शिला > दैव, भाग्य – नियति > • अनेक शब्दोँ का प्रयोग दोनोँ लिँगोँ मेँ समान रूप से होता है। जैसे– > सरकार, दही, नाक, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री, सचिव आदिं। > • संस्कृत मेँ ‘आ’ प्रत्यय युक्त शब्द स्त्रीलिँग होते हैँ– > भावना, प्रेरणा, वेदना, चेतना, सूचना, कल्पना, ताड़ना, धारणा, कामना आदि। > • हिँदी मेँ धातुओँ मेँ ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बनी संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिँग > होती हैँ– > मारना – मार > खोजना – खोज > चहकना – चहक > बहकना – बहक > महकना – महक > कूकना – कूक > फूटना – फूट > खिसकना – खिसक > डपटना – डपट > (खेल, नाच, मेल, उतार, चढ़ाव आदि पुल्लिँग हैँ।) > • अरबी–फारसी के त, श, आ, ह के अंत वाले शब्द स्त्रीलिंग होते हैँ, जो हिँदी > मेँ प्रचलित हैँ– > त – इज्जत, रिश्वत, ताकत, मेहनत आदि। > श – कोशिश, सिफारिश, मालिश, तलाश आदि। > आ – हवा, सजा, दवा, दुआ आदि। > ह – आह, राह, सलाह, सुबह, जगह, सुलह आदि। > • समान लिँग–युग्म–इन युग्मोँ मेँ मूल शब्द स्त्रीलिँग होता है, उसी मेँ > पुरुषवाची प्रत्यय जोड़कर उसे पुल्लिँग बना लिया जाता है– > जीजी – जीजा > ननद – ननदोई > बहन – बहनोई > मौसी – मौसा > बकरी – बकरा। > > > > > Thanks and Regards > Shreenivas Naik, > M.A., M.Ed., M.Phil. > G.P.U.College > Vogga > Bantwal > D.K. 574265 > 9481758822 > 9448593978 > -- 1. Webpage for this HindiSTF is : https://groups.google.com/d/forum/hindistf Hindi KOER web portal is available on http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Portal:Hindi 2. For Ubuntu 14.04 installation, visit http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Kalpavriksha (It has Hindi interface also) 3. For doubts on Ubuntu and other public software, visit http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Frequently_Asked_Questions 4. If a teacher wants to join STF, visit http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Become_a_STF_groups_member 5. Are you using pirated software? Use Sarvajanika Tantramsha, see http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Why_public_software सार्वजनिक संस्थानों के लिए सार्वजनिक सॉफ्टवेयर --- You received this message because you are subscribed to the Google Groups "HindiSTF" group. To unsubscribe from this group and stop receiving emails from it, send an email to hindistf+unsubscr...@googlegroups.com. 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