प्रतिवर्ष 26 जून को पूरे विश्व में मादक पदार्थ निरोधक दिवस मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की मादक पदार्थ व अपराध निरोधक संस्था की ओर से 26 जून को
पूरी दुनिया में विश्व मादक पदार्थ निरोधक दिवस मनाने की अपील की गयी है। इस
दिन मादक पदार्थ से संघर्ष के क्षेत्र में पायी जाने वाली चुनौतियों को दूर
करने और इस संबंध में सही उपाय किए जाने पर चर्चा की जाती है। इस वर्ष पूरी
दुनिया के लोग विश्व मादक पदार्थ दिवस को “आशा जनक संदेशः नशे की लत बचाव और
उपचार योग्य” के नारे से मानने के लिए एकत्रित हुए हैं ताकि मादक पदार्थों से
ख़तरों से दुनिया को जागरूक करें। आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि विश्व समुदाय
के निरंतर प्रयासों के बावजूद मादक पदार्थों की समस्या यथावत समाज के कल्याण
विशेषकर युवावर्ग के लिए गंभीर ख़तरा समझी जाती है। इस संबंध में एक विशेष
कार्यक्रम के साथ आपकी सेवा में उपस्थित हैं, कृपया हमारे साथ रहिए।





जो वस्तु मादक पदार्थों से संघर्ष के विश्व दिवस के महत्त्व को उजागर करती है,
वह मादक पदार्थों की प्रवृत्ति और उसका समाज पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव है।
नशे की लत एक सामाजिक बीमारी होने के साथ साथ मानसिक व शारीरिक बीमारी भी है
जिसके कारण बहुत से देशों को भारी नुक़सान उठना पड़ता है। इस प्रकार से हम नशे
की लत को समाजिक व आर्थिक समस्या कहा जा सकता है जिसके भीषण प्रभाव मानव समाज
को खोखला कर देते हैं क्योंकि नशे की लत, विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक विकास
में बाधा का कारण बनता है और इसके विध्वंसक परिणाम समाजिक अपराध के विस्तार
सहित नैतिक व सांस्कृतिक पतन के रूप में सामने आता है।



विशेषज्ञों का कहना है कि मादक पदार्थों का प्रतिवर्ष शुद्ध मुनाफ़ा 500 से
600 डालर है और इस ग़ैर क़ानूनी व्यापार का हेर फेर 1500 से 1600 अरब डालर तक
पहुंचता है। वास्तव में, एक ग़ैर क़ानूनी धंधे के रूप में तेल और हथियारों के
व्यापार की आड़ में मादक पदार्थों का क्रय विक्रय, एक विशेष स्थान प्राप्त कर
चुका है। स्पष्ट है कि इस ग़ैर क़ानूनी धंधे को चलाने वाले अधिक से अधिक लाभ
उठाने के लिए केवल इसी विषय पर ध्यान नहीं देते कि इससे निर्दोष लोगों के
स्वास्थ्य व उनकी आत्मा पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।



दूसरी ओर राजनैतिक अस्थिरता, क़ानून को धता बताना, अर्थव्यवस्था के निचले स्तर
और कोकीन या पोस्ते की उचित पैदावार ने मादक पदार्थों की अंतर्राष्ट्रीय
तस्करी के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह ऐसी स्थिति में है कि
हिरोइन और कोकीन जैसे पारंपरिक नशे, विश्व के कुछ देशों में कम हों और नई नई
नशे की दवाओं के दुरुपयोग में वृद्धि हुई है। उचित है कि हम यह जानें कि नशे
की नई नई दवाएं बहुत ही धड़ल्ले से इन्टरनेट के माध्यम से स्वतंत्रता से बेची
जा रही हैं और सुरक्षा की दृष्टि से इनका परिक्षण भी नहीं किया गया है जो
प्रचलित मादक पदार्थों से बहुत अधिक ख़तरनाक भी हो सकती हैं। मादक पदार्थों के
नाम पर सड़कों व मोहल्लों का नाम रखना, युवा लोगों को ग़लत संदेश देना है कि
यह पदार्थ मनोरंजन का साधन और कम ख़तरनाक हैं।



संयुक्त राष्ट्र संघ की अपराध व मादक पदार्थ निरोधक संस्था के प्रबंधक यूरी
फ़िदोतोफ़ ने वर्ष 2013 में मादक पदार्थों की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करते कहा
कि जैसे ही नया घातक मादक पदार्थ बाज़ार में आता है तो नये पदार्थ की तेज़ी,
विविधता और उसका घातक प्रभाव, मादक पदार्थों की रोकथाम की अंतर्राष्ट्रीय
व्यवस्था के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर देता है।

मादक पदार्थों में वह सारी वस्तुएं शामिल हैं जो बुद्धि की गतिविधियों को ऐसा
परिवर्तित कर देती हैं कि मनुष्य उलटी सीधी हरकतें करने लगता है, उट पटांग
बातें करने लगता है। नशेड़ियों की संख्या, नशे और इससे छुटकारा पाने की जटिलता
के दृष्टिगत, नशे की लत समाज की एक महत्त्वपूर्ण समस्या में परिवर्तित हो गयी
है। संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार विश्व में लगभग बाईस करोड़ लोग
नशे की लत में ग्रस्त हैं और पूरे विश्व में प्रतिवर्ष दो लाख टन मादक
पदार्थों का प्रयोग होता है । कुछ लोग ऐसे हैं जो मादक पदार्थ को शौक़ या
मनोरंजन के रूप में प्रयोग करते हैं। आरंभ में संभव है कि मादक पदार्थो के
सकारात्मक प्रभाव समझी जाने वाली चीज़ें, दिखाई दें। संभव है कि वे चीज़ें इस
प्रकार दिखें कि मादक पदार्थों का सेवन नियंत्रित रहेगा किन्तु वास्तविकता यह
है कि मादक पदार्थों का सेवन उसके जीवन को अपने नियंत्रण में ले लेती है। इस
प्रकार से मादक पदार्थों के सेवन की लत पड़ जाती है। आनंद व मनोरंजन के कारण
आरंभ होने वाली गतिविधियां, मनुष्य को पहली वाली ख़ुशी और प्रसन्नता नहीं लौटा
सकतीं और वह अपनी प्राचीन स्थिति को पाने के लिए एक बार फिर मादक पदार्थों का
सेवन करने लगता है। अंततः मादक पदार्थ का सेवन करने वाले ऐसे स्थान पर पहुंच
जाता है कि उसे वापस आने का कोई अवसर नहीं मिलता और यह स्वयं उसके लिए, उसके
परिवार और साथियों के लिए बहुत कठिन होता है और नशे की लत का छूटना उसके लिए
असंभव हो जाता है और वह किसी भी प्रकार से मादक पदार्थ का प्रबंध करने प्रयास
करता है।





यद्यपि मादक पदार्थ किसी भी आयु में लत में परिवर्तित हो जाता है किन्तु शोध
इस बात को दर्शाते हैं कि यदि नशे की लत लगने वाले व्यक्ति की आयु कम हो जो
उसे इस लत से मुक्ति दिलाई सकती है। इसीलिए मादक पदार्थ के धंधे में लिप्त
नेटवर्क समाज की युवा पीढ़ी को निशाना बनाती है। संभव है कि जेनेटिक योग्यता,
मानसिक बीमारी, घरेलू वातावरण के सही न होने और यौन शोषण के शिकार होने जैसी
समस्याओं के कारण लोगों को नशे की लत पड़ जाए। व्यक्तिगत स्तर पर मादक
पदार्थों का उपयोग, नैतिक व व्यक्तिगत दृष्टि से उसकी भावनाओं को कमज़ोर कर
देता है और उसके स्वाभीमान को मिट्टी में मिला देता है और उसकी अच्छाई को
ख़त्म कर देता है। नशा मनुष्य की शारीरिक सुरक्षा को निशाना बनाता है और इसके
कारण एड्स, हेपाटाइट और टेटनस जैसी ख़तरनाक बीमारियां पैदा होती हैं। इसके
अतिरिक्त सांस लेने में समस्या, ब्रांगकाइटस या फेफड़े की सूजन और पाचन क्रिया
को बाधित जैसी ख़तरनाक बीमारियों का भी कारण बनता है और इससे दिल और नाड़ियों
की बीमारियां भी होती है जिससे पक्षाघात का ख़तरा बढ़ जाता है। नशे से सामान्य
निद्रा भी बाधित होती है जिससे मस्तिष्क, याददाशत और भूलने जैसी बीमारियां बढ़
जाती हैं और मनुष्य अवसाद का शिकार हो जाता है और इसके अतिरिक्त बहुत सी
मानसिक व आत्मिक बीमारियों के उत्पन्न होती हैं।





मादक पदार्थों का सेवन मनुष्य को बर्बाद करने के अतिरिक्त उसको नैतिक व
धार्मिक सिद्धांतों की कटिबद्धता पर कमज़ोरी, चोरी, डकैती, सामाजिक व
पारिवारिक हिंसा, बलात्कार और हत्या जैसी बुराइयों में भी ग्रस्त कर देता है।
इसके अतिरिक्त नशे की लत, अनुचित काम करने, बेरोज़गारी, निर्धनता और तलाक़
जैसी समस्याओं का भी कारण बनती है जिससे समाज की शांति और सुरक्षा को गंभीर
ख़तरा पैदा हो जाता है। इन सबके अतिरिक्त नशे की लत से बहुत अधिक आर्थिक
हानियां भी होती हैं और इसके कारण बहुत सी सामाजिक व राष्ट्रीय संपत्ति बर्बाद
हो जाती है। इसका अर्थ यह है कि एक नशेड़ी जब अपने नशे के कारण समाज में
सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाता और बेकार व्यक्ति में परिवर्तित हो जाता है तो
वह परिवार के अन्य सदस्यों पर बोस बन जाता है।



दूसरी ओर समाज में लोगों के नशे के सेवन से पुलिस को मादक पदार्थों से पैदा
होने वाले प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अपराधों से मुक़ाबले में भारी क़ीमत चुकानी
पड़ती है और उनका बहुत मूल्यवान समय इसमें बर्बाद होता है इसी प्रकार न्यायिक
संस्था के लोगों का भी मामला सुलझाने में बहुत समय लगता है। इसके अतिरिक्त
नशेड़ियों और अपराधियों के लिए जेल और उनके उपचार के लिए स्वास्थ्य संगठन को
भारी मूल्य चुकाना पड़ता है।



मादक पदार्थों की तस्करी और उसके विस्तार से संघर्ष के लिए वर्षों से जारी
प्रयासों के बाद विश्व समुदाय को यह समझ में आ गया है कि एक बीमारी के रूप में
नशे को स्वीकार किए जाने के दृष्टिगत लोगों को जागरूक करना और लोगों की
भागीदारी मादक पदार्थों से संघर्ष के लिए एक बेहतरीन मार्ग हो सकता है। स्पष्ट
है कि समाज की नागरिक संस्थाओं विशेषकर पारिवारिक संस्था को नशे, उसके ख़तरों
और मादक पदार्थों से होने वाली हानियों और उसके उपचार के लिए जागरूक व
संवेदनशील बनाकर प्रभावी भूमिका निभाई जा सकती है।

इसी परिधि में अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण संस्था के प्रमुख रिमोंड
यानिज़ का कहना है कि नशे की आदत के उपचार और उसकी रोकथाम में पूंजीनिवेश,
बुद्धिमत्तापूर्ण पूंजीनिवेश है क्योंकि इससे समाज को होने वाली भारी हानियों
और भारी भरकम ख़र्चे को रोका जा सकता है और नशेड़ी और उसके परिवार के दुखों को
कम किया जा सकता है।

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