Namasthe sir ji gilhari ke bareme our kuch jankari dijiye plz

On 27 Jul 2016 2:12 pm, "Shreenivas Naik" <
shreenivasnaik.hindi.vo...@gmail.com> wrote:

> हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है। १४ सितंबर १९४९ को
> संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत कीराजभाषा होगी।
> इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र
> में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन्
> १९५३ से संपूर्ण भारत में १४ सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में
> मनाया जाता है।
> वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को
> राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
>
> वर्ष 1949 में
>
> स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श
> के बाद यह निर्णय लिया गया जोभारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा
> ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है: संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी
> होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप
> अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। चूंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इस कारण
> हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। लेकिन जब राजभाषा के रूप
> में इसे चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका
> विरोध करने लगे और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण
> हिन्दी में भी अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।
>
> 1991 के बाद
>
> वर्ष 1991 में इस देश में नव-उदारीकरण की आर्थिक नीतियाँ लागू की गई। इन
> नीतियों के तेजी से लागू हो पाने के पीछे जितने बड़े कारक थे सोवियत संघ में
> समाजवाद का पतन एवं इस देश के बड़े पूंजीपति घरानों की बढ़ती इजारादारी शायद
> उससे कहीं बड़ा, एवं सोवियत संघ के पतन के पीछे का भी, एक कारक था नई
> प्रौद्योगिकी का अभ्युदय। यह नई प्रौद्योगिकी एवं इससे उपजते हुये सेवा एवं
> उद्योग देश की अर्थनीति में कई सारे महत्वपूर्ण बदलाव लाये। सेवा क्षेत्र
> जिसका देश के सकल घरेलु उत्पाद में अंशदान 25% से भी कम था 50% से अधिक हो गया
> जबकि कृषि का अंशदान, भारत आज भी
>
> कृषि प्रधान देश होते हुये भी 20% से कम रह गया। इसका जबर्दस्त असर पड़ा भाषा
> की पढ़ाई पर। अंग्रेजी के अलावा किसी दूसरे भाषा की पढ़ाई समय की बर्बादी समझा
> जाने लगा। जब हिन्दीभाषी घरों में बच्चे हिन्दी बोलने से कतराने लगे, या
> अशुद्ध बोलने लगे तब कुछ विवेकी अभिभावकों के समुदाय को थोड़ा थोड़ा एहसास
> होने लगा कि घर-परिवार में नई पीढ़ियों की जुबान से भाषा के उजड़ने, मातृभाषा
> उजड़ने लगी है।
>
> कार्यक्रम
>
> हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को
> हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की
> शिक्षा दी जाती है।जिसमें हिन्दी निबंध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण
> प्रतियोगिता आदि होता है। हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित
> करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे
> व्यक्तित्व को दिया जाएगा जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान
> के लिए विशेष योगदान दिया है। इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रुपये
> दिये जाते हैं। हिन्दी में निबंध लेखन प्रतियोगिता के द्वारा कई जगह पर हिन्दी
> भाषा के विकास और विस्तार हेतु कई सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन अगले
> दिन सभी हिन्दी भाषा को भूल जाते हैं।हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें इस
> कारण राजभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है। जिससे यह कम से कम वर्ष में एक
> सप्ताह के लिए तो रहती ही है।
>
> हिन्दी निबंध लेखन वाद-विवाद विचार गोष्ठीकाव्य गोष्ठीश्रुति लेखन हिन्दी
> टंकण प्रतियोगिता कवि सम्मेलन पुरस्कार समारोह राजभाषा सप्ताह
>
> हिन्दी भाषा बोलने के अनुसार अंग्रेज़ी और चीनी भाषा के बाद पूरे दुनिया में
> दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों
> में यह संख्या बहुत ही कम है। यह और भी कम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी
> भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन
> से हट गए और अंग्रेज़ी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा
> के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गई है।
>
> इस कारण ऐसे लोग जो हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं,
> उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी
> दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी
> भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें। लेकिन लोग और सरकार दोनों ही
> इसके लिए उदासीन दिखती है। हिन्दी तो अपने घर में ही दासी के रूप में रहती
> है।हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे
> विडंबना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिन्दी के लिए
> 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता? इसके ऐसे हालात आ गए हैं कि
> हिन्दी दिवस के दिन भी कई लोगों को ट्विटर पर हिन्दी में बोलो जैसे शब्दों का
> उपयोग करना पड़ रहा है।अमर उजाला ने भी लोगों से विनती किया कि कम से कम
> हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।
>
> उद्देश्य
>
> इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि
> जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास
> नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेज़ी के स्थान पर
> हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में
> अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग
> करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।
>
> कई लोग अपने सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों का या अंग्रेज़ी
> का उपयोग करते हैं, जिससे धीरे धीरे हिन्दी के अस्तित्व को खतरा पहुँच रहा
> है।यहाँ तक किवाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत
> ही खस्ता हाल में है।इस कारण इस दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने
> बोलचाल की भाषा में भी हिन्दी का ही उपयोग करें। इसके अलावा लोगों को अपने
> विचार आदि को हिन्दी में लिखने भी कहा जाता है। चूंकि हिन्दी भाषा में लिखने
> हेतु बहुत कम उपकरण के बारे में ही लोगों को पता है, इस कारण इस दिन हिन्दी
> भाषा में लिखने, जाँच करने और शब्दकोश के बारे में जानकारी दी जाती है। हिन्दी
> भाषा के विकास के लिए कुछ लोगों के द्वारा कार्य करने से कोई खास लाभ नहीं
> होगा। इसके लिए सभी को एक जुट होकर हिन्दी के विकास को नए आयाम तक पहुँचाना
> होगा। हिन्दी भाषा के विकास और विलुप्त होने से बचाने के लिए यह अनिवार्य है।
>
> राजभाषा सप्ताह
>
> राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के
> लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता
> है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य
> हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित
> न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन, आदि के
> द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के
> बारे में समझाया जाता है।
>
> पुरस्कार
>
> हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह
> भी आयोजित किया जाता है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग करने
> वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद
> में बदल कर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया।
> राजभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है जबकि राजभाषा कीर्ति पुरस्कार
> किसी विभाग, समिति आदि को दिया जाता है।
>
> राजभाषा गौरव पुरस्कार
>
> यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक
> को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते
> हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को ₹2,00,000 व द्वितीय पुरस्कार
> प्राप्त करने वाले को ₹1,50,000 और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को
> ₹75,000 रुपये मिलता है। साथ ही 10 लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में
> ₹10,000 रुपये मिलता है। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिन्ह भी दिया
> जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को
> आगे बढ़ाना है।
>
> राजभाषा कीर्ति पुरस्कार
>
> इस पुरस्कार योजना के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी
> समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के
> लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग
> करने से है।
>
> विरोध
>
> कई हिन्दी लेखकों और हिन्दी भाषा जानने वालों का कहना है कि हिन्दी दिवस केवल
> सरकारी कार्य की तरह है, जिसे केवल एक दिन के लिए मना दिया जाता है। इससे
> हिन्दी भाषा का कोई भी विकास नहीं होता है, बल्कि इससे हिन्दी भाषा को हानि
> होती है। कई लोग हिन्दी दिवस समारोह में भी अंग्रेज़ी भाषा में लिख कर लोगों
> का स्वागत करते हैं। सरकार इसे केवल यह दिखाने के लिए चलाती है कि वह हिन्दी
> भाषा के विकास हेतु कार्य कर रही है। स्वयं सरकारी कर्मचारी भी हिन्दी के
> स्थान पर अंग्रेज़ी में कार्य करते नज़र आते हैं।
>
> हिन्दी दिवस पर क़फ़ील अहमद फारूक़ी का कहना है कि असल में हिन्दी भाषी ही
> हिन्दी का गला घोंट रहे हैं। हिन्दी दिवस पर औपचारिकता के स्थान पर कुछ ऐसा
> करना चाहिए, जिससे लगे कि वाक़ई में हिन्दी के लिए कुछ हुआ है।
> उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा ज़िले के बाड़ेछीना में सन् १९३१ में जन्मे
> साहित्यकार शैलेष मटियानी हिन्दी के प्रति सरकारों और नौकरशाहों के रवैये से
> बेहद दुखी थे। इस मुद्दे पर वह लेखनी के जरिए सवालों की झड़ी लगाकर १४ साल
> पहले दुनिया से चले गए।
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