netri shabd hai likin uskaa prayog n karke netaa kaa anyaling netaa hi
karnaa uchit hai cheirperson ke roop me dhanyavaad
2018-01-13 20:44 GMT+05:30 MANJUNATHA D :
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> On Jan 8, 2018 10:44 AM, "ashokbabirur" wrote:
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1. Webpage for this HindiSTF is : https://groups.google.com/d/forum/hindistf
2. For doubts on Ubuntu and other public software, visit
http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Frequently_Asked_Questions
3. If a teacher wants to join STF, visit
.अच्छा काम रमेश जी को भेजिये श्रीनिवास
On 20 Jun 2017 23:35, "Shreenivas Naik" <
shreenivasnaik.hindi.vo...@gmail.com> wrote:
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> 1. Webpage for this HindiSTF is : https://groups.google.com/d/
> forum/hindistf
> 2. For doubts on Ubuntu and other public software, visit
>
बढिया काम श्रीनिवास जी बढे चलो
On 10 Jun 2017 22:33, "Shreenivas Naik" <
shreenivasnaik.hindi.vo...@gmail.com> wrote:
Thanks and Regards,
Shreenivas Naik,
M.A., M.Ed., M.Phil.
G.P.U.College
Vogga
Bantwal
D.K. 574265
9481758822
8073952209
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http://karnatakaeducation.org.in/KOER/en/index.php/Kalpavriksha
पुस्तकालय
पुस्तकालय दो शब्दों से मिल कर बना है .पुस्तक + आलय . इसका अर्थ है वह स्थान
जहाँ पुस्तकों का ढेर लगा हो . मनुष्य जाति का ज्ञान पुस्तकों में ही संचित
रहता है .पुस्तकें मनुष्य को सही दिशा देती हैं . जीवन यात्रा में कदम - कदम
पर पुस्तकें सच्ची साथी की तरह सहयोग करती हैं .
पुस्तकालय का
"हिन्दी" वस्तुत: फारसी भाषा का शब्द है,जिसका अर्थ है-हिन्दी का या हिंद से
सम्बन्धित। हिन्दी शब्द की निष्पत्ति सिन्धु -सिंध से हुई है क्योंकि ईरानी
भाषा में "स" को "ह" बोला जाता है। इस प्रकार हिन्दी शब्द वास्तव में सिन्धु
शब्द का प्रतिरूप है। कालांतर में हिंद शब्द सम्पूर्ण भारत का पर्याय बनकर
उभरा
जो शब्द क्रिया की विशेषता बतलाये ,उसे क्रिया विशेषण कहते है । जैसे -
१.खरगोश तेज दौड़ता है। २.पिता जी बाहर घूमने जा रहे है। ३.धीरे धीरे मेरा
उससे परिचय हुआ । ४.मेज के ऊपर पुस्तक रखी हुई है।
क्रिया विशेषण के भेद :-
१.कालवाचक विशेषण
२.स्थानवाचक विशेषण
३.परिमाणवाचक विशेषण
४.रीतिवाचक विशेषण
दम तोड़ती रिश्ते के बीच की उलझी हुई डोर की कहानी 'आपका बंटी'
पुस्तक - आपका बंटी
लेखिका - मन्नू भंडारी
आपका बंटी मन्नू भंडारी के उन बेजोड़ उपन्यासों में है जिनके बिना न बीसवीं
शताब्दी के हिन्दी उपन्यास की बात की जा सकती है, न स्त्री-विमर्श को सही
धरातल पर समझा जा सकता है। दजर्नों संस्करण और
महर्षि पतंजलि के अनुसार - ‘‘अभ्यास-वैराग्य द्वारा चित्त की वृत्तियों पर
नियंत्रण करना ही योग है।’’
विष्णुपुराण के अनुसार -‘‘जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग
;अद्वेतानुभुति योग कहलाता है।’’
भगवद्गीताबोध के अनुसार- ‘‘दुःख-सुख, पाप-पुण्य,शत्रु-मित्र, शीत-उष्ण आदि
द्वन्दों से अतीत
समास :- जब दो या दो से अधिक पद बीच की विभक्ति को छोड़कर मिलते है,तो पदों के
इस मेल को समास कहते है।
'समास के भेद '
समास के मुख्य सात भेद है :-
१.द्वन्द समास २.द्विगु समास ३.तत्पुरुष समास ४.कर्मधारय समास ५.बहुव्रीहि
समास ६.अव्ययीभाव समास ७.नत्र समास
१.द्वंद समास :- इस समास में दोनों पद प्रधान
संख्याएँ.. हिन्दी शब्द.. रोमन लिपि
० शून्य shoonya
१ एक Ek
२ दो do
३ तीन teen
४ चार chaara
५ पाँच paaNnch
६ छह chhah
७ सात saat
८ आठ AATh
९ नौ nao
१० दस das
११ ग्यारह gyaarah
१२ बारह baarah
१३ तेरह terah
१४ चौदह chaodah
१५ पन्द्रह pandrah
१६ सोलह solah
१७ सत्रह satrah
१८ अठारह AThaarah
१९
राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर
आधुनिक हिंदी काव्य में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना का शंखनाद करने वाले तथा
एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में विख्यात राष्ट्रकवि
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, ज़िला
भाषा में कई शब्दों के स्थान पर एक शब्द बोल कर हम भाषा को प्रभावशाली एवं
आकर्षक बनाते है। जैसे -
राम बहुत सुन्दर कहानी लिखता है। अनेक शब्दों के स्थान पर हम एक ही शब्द
'कहानीकार' का प्रयोग कर सकते है । इसी प्रकार ,अनेक शब्दों के स्थान पर एक
शब्द का प्रयोग कर सकते है। यहां पर अनेक शब्दों के लिए एक
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी : एक परिचय
आधुनिक हिन्दी साहित्य में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी एक प्रमुख
निबंधकार,उपन्यासकार ,आलोचक और संपादक के रूप में जाने जाते है। इनका
शास्त्रीय ज्ञान और मौलिक चिंतन अद्वितीय था। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का
जन्म सन १९०७ में बलिया जिले में आरत दुबे का छपरा
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amooly soochna s naik ji
On Aug 25, 2016 11:44 AM, "Shreenivas Naik" <
shreenivasnaik.hindi.vo...@gmail.com> wrote:
> भारत के राष्ट्रीय ध्वज़
>
> भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को तिरंगा झंडा भी कहा जाता है। 22 जुलाई 1947 को
> संविधान सभा के सम्मेलन के दौरान इसे पहली बार आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया
>
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nahi kar sakte
On Aug 11, 2016 9:32 PM, "bsammubisanalli"
wrote:
>
> Dear sir/mam mai aaj sham ko trancefer application submit karne gayi thi.
> Poora bio data bharne ke baad submit kiye tho *your application is not
> saved. Check the details application is recieved
mejar digree with hindi comal agide e baari sept ge shivamoggadalli
sammelana maadi charchisabeku ella jille mattu taalluk hindi union
adyaksharu mattu kaaryadarshigalu e number ge miss call kodi 9449068103
8095419371
On Aug 11, 2016 8:58 PM, "Suresh Sur" wrote:
कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए,
महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए।
बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय,
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।
गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागूं पाय,
तभी पुलिस ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय।
पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,
मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का
पीड़ा का अनुवाद हैं आँसू
एक मौन संवाद हैं आँसू
दर्द, दर्द बस दर्द ही नहीं
कभी-कभी आह्लाद हैं आँसू
जबसे प्रेम धरा पर आया
तब से ही आबाद हैं आँसू
अब तक दिल में है हलचल-सी
मुझको उनके याद हैं आँसू
कभी परिंदे कटे-परों के
और कभी सैयाद हैं आँसू
इनकी भाषा पढ़ना 'अंजुम'
मुफ़लिस की फ़रियाद हैं आँसू
~
रचनाकार: महादेवी वर्मा
अश्रु यह पानी नहीं है, यह व्यथा चंदन नहीं है!
यह न समझो देव पूजा के सजीले उपकरण ये,
यह न मानो अमरता से माँगने आए शरण ये,
स्वाति को खोजा नहीं है औ' न सीपी को पुकारा,
मेघ से माँगा न जल, इनको न भाया सिंधु खारा!
शुभ्र मानस से छलक आए तरल ये ज्वाल मोती,
प्राण की निधियाँ अमोलक
प्यार किसी को करना लेकिन
कह कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गा कर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों से
औरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड उन्हे मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
त्याग अंक में पले
दुनिया का इतिहास पूछता,
रोम कहाँ, यूनान कहाँ?
घर-घर में शुभ अग्नि जलाता।
वह उन्नत ईरान कहाँ है?
दीप बुझे पश्चिमी गगन के,
व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा,
किन्तु चीर कर तम की छाती,
चमका हिन्दुस्तान हमारा।
शत-शत आघातों को सहकर,
जीवित हिन्दुस्तान हमारा।
जग के मस्तक पर रोली सा,
शोभित हिन्दुस्तान हमारा।
~
क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।
~ अटल बिहारी वाजपेयी
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अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई।
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के,
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रिजना
अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
प्रेम वटी का मदवा पिलाय के मतवारी कर दीन्हीं रे
मोसे नैंना मिलाई
Dambal Ji ne Pancham e 5E per badiya kaam kiya hai saamany tour per
nibandho me vichaaro ka vistaar ke liye moukhik vaartaalaap ko
praadhaanyata denge to bolnaa koushal ka sashakt vikaas bachcho me hotaa
hai hindi bandhuvo ki vor se unhe badhaayi
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मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम
ऐ अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम,
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
तेरे उर में शायित गांधी, 'बुद्ध औ' राम,
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
हिमगिरि-सा उन्नत तव मस्तक,
तेरे चरण चूमता सागर,
श्वासों में हैं वेद-ऋचाएँ
वाणी में है गीता का स्वर।
ऐ संसृति की आदि तपस्विनि, तेजस्विनि
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है
माला बिखर गयी तो
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