मैनें मेरे एक दोस्त को फोन किया और कहा कि यह मेरा नया नंबर है, सेव कर लेना।
उसने बहुत अच्छा जवाब दिया और मेरी आँखों से आँसू निकल आए। उसने कहा तेरी आवाज़ मैंने सेव कर रखी है। नंबर तुम चाहे कितने भी बदल लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तुझे तेरी आवाज़ से ही पहचान लूंगा। ये सुन के मुझे हरिवंश राय बच्चनजी की बहुत ही सुन्दर कविता याद आ गई.... "अगर बिकी तेरी दोस्ती तो पहले खरीददार हम होंगे। तुझे ख़बर ना होगी तेरी कीमत, पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे॥ "दोस्त साथ हों तो रोने में भी शान है। दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है॥" "सारा खेल दोस्ती का हे ए मेरे दोस्त, वरना.. जनाजा और बारात एक ही समान है।" 🙋🏻 *सारे दोस्तों को समर्पित.! Sent from my iPhone -- You received this message because you are subscribed to the Google Groups "Thatha_Patty" group. To unsubscribe from this group and stop receiving emails from it, send an email to thatha_patty+unsubscr...@googlegroups.com. To view this discussion on the web visit https://groups.google.com/d/msgid/thatha_patty/6A5E1A22-4E4B-4F6E-9BFE-B743252FD044%40gmail.com. For more options, visit https://groups.google.com/d/optout.