हर इंसान की यह ज़िम्मेदारी है कि वह जो बात भी कहना चाहे, कहने से पहले उस पर ग़ौर करे और कोई काम करना हो ओ करने के पहले उसके ग़ौर ओ फ़िक्र करे । इस्लाम, इंसानों को तमाम कामों में ग़ौर व ख़ोज़ करने की नसीहत करता है कुछ करने और कहने के पहले सोंचें हज़ार बार <http://aqyouth.blogspot.com/2010/09/blog-post_27.html>
इस पर आपके विचार आमंत्रित हैं. http://aqyouth.blogspot.com/2010/09/blog-post_27.html *अक्सर यह पाया गया है, कि हम अपने समाज मैं बहुत से लोगों से , कभी भाई का , कभी बहन का, कभी मामा, और चाचा का रिश्ता बना लेते हैं, बग़ैर यह सोंचे कि हम निभा भी पाएंगे या नहीं और बाद मैं पछताना पड़ता है. ऐसे रिश्ते हमेशा सोंच के बनाएं और जब बना लें तो इमादारी से निभाएं.* S.M . MAsoom Mumbai, India -- You received this message because you are subscribed to the Google Groups "shiagroup" group. To post to this group, send email to shiagr...@googlegroups.com. To unsubscribe from this group, send email to shiagroup+unsubscr...@googlegroups.com. For more options, visit this group at http://groups.google.com/group/shiagroup?hl=en.