Kabir sent Kamal to Tulsidas. In the presence of Kamal, Tulsidas wrote Ram
Nam on a Tulasi leaf and sprinkled the juice over five hundred lepers. All
were cured. Kamal was quite astonished. Then Kabir sent Kamal to blind
Surdas. Surdas asked Kamal to bring the corpse that was floating in the
river. The corpse was brought. Surdas repeated ‘Ram’ (not the full name
Rama) only once in one ear of the corpse, and it was brought back to life.
Kamal’s heart was filled with awe and wonder. Such is the power of God’s
Name.



एक बार राम नाम के प्रभाव से कबीर पुत्र कमाल द्वारा एक कोढ़ी का कोढ़ दूर हो
गया। कमाल को गरूर हो गया कि वह रामनाम की महिमा को जान गया है। कबीर जी को
अपने बेटे के इस व्यवहार से बहुत दुख हुआ। उन्होंने कमाल का गरूर उतारने के
लिए उसे तुलसीदास जी के पास भेजा।


तुलसीदास जी ने तुलसी के पत्र पर राम नाम लिखकर वह पत्र जल में डाला और उस जल
से 500 कोढ़ियों को ठीक कर दिया। कमाल समझ गया कि तुलसी पत्र पर एक बार राम
नाम लिखकर उसके जल से 500 कोढ़ियों को ठीक किया जा सकता है। रामनाम की इतनी
महिमा है। जब वह घर लौटा तो कबीर जी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कमाल को
भेजा सूरदास जी के पास।

सूरदास जी ने गंगा में बहते हुए एक शव के कान में 'राम' शब्द का केवल 'र' कार
कहा और शव जीवित हो गया। तब कमाल ने सोचा कि 'राम' शब्द के 'र' कार से मुर्दा
जीवित हो सकता है – यह 'राम' शब्द की महिमा है। इस वृतांत के उपरांत कमाल का
गरूर उतर गया और उसने जाकर अपने पिता से क्षमा मांगी तब कबीर जी ने कहाः



*'यह भी नहीं। इतनी सी महिमा नहीं है 'राम' शब्द की।भृकुटि विलास सृष्टि लय
होई।*


जिसके भृकुटि विलास मात्र से प्रलय हो सकता है, उसके नाम की महिमा का वर्णन
तुम क्या कर सकोगे?



*
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நல்லதுசெய் நல்லதே நடக்கும்
*जन सेवा ईश्वर  सेवा *
*cnu.pne*

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